Best 260+ Mirza Ghalib Shayari in Hindi | मिर्जा गालिब शायरी

Heart Touching Mirza Ghalib Shayari

Mirza Ghalib Shayari 👳🏼‍♂️ “मिर्ज़ा ग़ालिब शायरी” हिंदी और अंग्रेजी अदब का वो हिसा है जो हर दिल को छू लेता है। चाहे बात हो Heart Touching Mirza Ghalib Shayari in Hindi (दिल को छू लेने वाली मिर्ज़ा ग़ालिब शायरी इन हिंदी) कि या फिर Motivational Mirza Ghalib Shayari in Hindi (मोटिवेशनल मिर्ज़ा ग़ालिब शायरी इन हिंदी) की, उनके हर लफ़्ज़ में एक गहरा आदमी छुपा होता है। गालिब ने मोहब्बत, दर्द, जिंदगी और तन्हाई को जिस अंदाज में बयां किया है, वो उन्हें दूसरे शायरों से अलग बनाता है।

आज भी लोग लव मिर्जा गालिब शायरी इन हिंदी जरूर अपने जज़्बात का इज़हार करते हैं। उनकी मिर्ज़ा ग़ालिब शायरी ऑन लाइफ इंसान को सोचने पर मजबूर कर देती है, जबके मिर्ज़ा ग़ालिब सैड शायरी हर उस दिल को तसल्ली देती है जो किसी ग़म से गुज़रा हो। ग़ालिब शायरी इस शहजादे को समझना आसान नहीं, लेकिन महसूस करना हर किसी के बस की बात है।

Mirza Ghalib Shayari

Mirza Ghalib Sad Shayari
Mirza Ghalib Shayari
हाथों की लकीरों पे मत जा ऐ गालिब,
नसीब उनके भी होते है जिनके हाथ नहीं होते.
नाम चेहरे से हटाकर देखिए,
हम ज़माने से छूट जाएँगे।
क्योंकि दिल में रहते हैं तो आपके,
हम जिंदगी से बदल जाएँगे।
इश्क़ ने ग़ालिब निकम्मा कर दिया,
वर्ना हम भी आदमी थे काम के.
हज़ारों ख्वाहिशें ऐसी कि हर ख्वाहिश पे दम निकले,
बहुत निकले मेरे अरमान लेकिन फिर भी कम निकले।
ज़िंदगी से यही शिकवा है हर पल,
कि जो मिला नहीं वो ही सबसे ज्यादा पसंद निकले।
हज़ारों ख्वाहिशें ऐसी कि हर ख्वाहिश पे दम निकले,
बहुत निकले मेरे अरमां लेकिन फिर भी कम निकले।
डरता हूँ दिल की बात कहने से ‘ग़ालिब’,
कहीं वो सुनकर खफ़ा ना हो जाए।
हम को मालूम है जन्नत की हक़ीक़त लेकिन

दिल के ख़ुश रखने को 'ग़ालिब' ये ख़याल अच्छा है

Heart Touching Mirza Ghalib Shayari in Hindi

Mirza Ghalib Shayari on Life
Heart Touching Mirza Ghalib Shayari in Hindi
हम ने माना कि तग़ाफ़ुल न करोगे लेकिन
ख़ाक हो जाएँगे हम तुम को ख़बर होने तक
तोड़ा कुछ इस अदा से तालुक़ उस ने ग़ालिब 
के सारी उम्र अपना क़सूर ढूँढ़ते रहे
कहूँ किस से मैं कि क्या है शब-ए-ग़म बुरी बला है
मुझे क्या बुरा था मरना अगर एक बार होता
हम तो फना हो गए उसकी आंखे देखकर गालिब,
न जाने वो आइना कैसे देखते होंगे.
तेरे वादे पर जीने का एहसास है,
हर रोज़ तेरी यादों में खो जाते हैं।
इश्क़ के मारे हैं हम, ग़लिब,
अपनी रूह को तेरे सिवा न बचा पाते हैं।

Motivational Mirza Ghalib Shayari in Hindi

Best Mirza Ghalib Shayari in Hindi
Motivational Mirza Ghalib Shayari in Hindi
हजारों ख्वाहिशें ऐसी कि हर ख्वाहिश पे दम निकले,
बहुत निकले मेरे अरमां लेकिन फिर भी कम निकले।
दिल ही तो है न संग-ओ-ख़िश्त, दर्द से भर न आए क्यों,
रोएंगे हम हज़ार बार, कोई हमें सताए क्यों।
राहें उमीद की चल पड़ी हैं फिर,
हर ठोकर ने कुछ सिखाया है।
रंज से खूगर हुआ इंसान तो मिट जाता है रंज,
मुश्किलें इतनी पड़ीं मुझ पर कि आसां हो गईं
कोई उम्मीद बर नहीं आती, कोई सूरत नज़र नहीं आती,
मौत का एक दिन मुअय्यन है, नींद क्यों रात भर नहीं आती।

Mirza Ghalib Shayari Urdu

Mirza Ghalib Shayari
Mirza Ghalib Shayari Urdu
Hazaron Khwahishen Aisi Ke Har Khwahish Pe Dam Nikle,
Bahut Nikle Mere Armaan Lekin Phir Bhi Kam Nikle.
Dil-E-Naadaan Tujhe Hua Kya Hai,
Aakhir Is Dard Ki Dawa Kya Hai?
Bas-Ki Dushwaar Hai Har Kaam Ka Aasaan Hona,
Aadmi Ko Bhi Mayassar Nahi Insaan Hona.
Jala Hai Jism Jahan, Dil Bhi Jal Gaya Hoga,
Kuredte Ho Jo Ab Raakh, Justuju Kya Hai?
Ranj Se Khoogar Hua Insaan to Mit Jata Hai Ranj,
Mushkilein Mujh Par Padi Itni Ke Aasaan Ho Gayi

Love Mirza Ghalib Shayari in Hindi

Famous Mirza Ghalib Love Shayari
Love Mirza Ghalib Shayari in Hindi
इश्क़ पर जोर नहीं, है ये वो आतिश 'ग़ालिब' 🔥
कि लगाए न लगे और बुझाए न बने ❤️
हमको मालूम है जन्नत की हक़ीक़त लेकिन ✨
दिल के खुश रखने को 'ग़ालिब' ये खयाल अच्छा है 💭❤️
हजारों ख्वाहिशें ऐसी कि हर ख्वाहिश पे दम निकले 💔
बहुत निकले मेरे अरमां लेकिन फिर भी कम निकले ❤️‍🔥
इश्क़ ने 'ग़ालिब' निकम्मा कर दिया 😌
वरना हम भी आदमी थे काम के ❤️‍🩹
वो आए घर में हमारे, खुदा की कुदरत है 😍
कभी हम उनको, कभी अपने घर को देखते हैं 🏠❤️

Ghalib Shayari

Mirza Ghalib Romantic Shayari
Ghalib Shayari
जी ढूँडता है फिर वही फ़ुर्सत कि रात दिन
बैठे रहें तसव्वुर-ए-जानाँ किए हुए
इश्क़ पर ज़ोर नहीं है ये वो आतिश ‘ग़ालिब’,
कि लगाए न लगे और बुझाए न बने।
क़र्ज़ की पीते थे मय लेकिन समझते थे कि हाँ,
रंग लाएगी हमारी फ़ाक़ामस्ती एक दिन।
देके खत मुँह देखता है नामाबर ,
कुछ तो पैगाम -ऐ -ज़बानी और है
दिल-ए-नादान तुझे हुआ क्या है,
आख़िर इस दर्द की दवा क्या है।
हम हैं मुश्ताक़ और वो बेज़ार,
या इलाही ये माजरा क्या है।
कहाँ मयखाने का दरवाज़ा ‘ग़ालिब’ और कहाँ वाइज,
पर इतना जानते है कल वो जाता था के हम निकले.
नज़रों की मस्ती में बदल गई ज़िंदगी,
वर्ना हम तो अदा से ही चलते थे।
ख़ुशी और ग़म बांट रहे हैं लोग,
ज़िंदगी के मेले में अकेले चलते थे।

2 line Mirza Ghalib ki Shayari

इश्क़ पर जोर नहीं है ये वो आतिश ‘गालिब’
कि लगाये न लगे और बुझाये न बुझे.
नक़्क़ारा है वो फ़साना, जो दिल से कहते हैं,
बड़े ख़ामोशी से सुनते हैं हम।
उन के देखे से जो आ जाती है मुँह पर रौनक़,
वो समझते हैं कि बीमार का हाल अच्छा है
हो चुकीं ‘ग़ालिब’ बलायें सब तमाम ,
एक मर्ग -ऐ -नागहानी और है
बना कर फ़क़ीरों का हम भेस 'ग़ालिब'
तमाशा-ए-अहल-ए-करम देखते हैं
निकलना ख़ुल्द से आदम का सुनते आए हैं लेकिन
बहुत बे-आबरू हो कर तिरे कूचे से हम निकले

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